तिरुपति के श्रीकालाहस्ती मंदिर में क्यों विदेशी भी आकर कराते हैं राहु-केतु की शांति
Ritu Singh
राहु-केतु की पूजा अब विदेशी भी करने लगे हैं और इसका ताजा उदाहरण तिरुपति में देखने को मिला.
तिरुपति के श्रीकालाहस्ती मंदिर 30 रुसी पर्यटकों ने विधिवत भगवान शिव की पूजा के साथ राहु-केतु की शांति के लिए पूजा की. सभी पर्यटक भारतीय वेशभूषा में नजर आ रहे हैं और बाकायदा मंत्रोच्चार के साथ पूजा में शामिल हो रहे हैं.
बता दें कि तिरुपति के कलाहस्ति मंदिर में दूर-दूर से लोग मुख्यत: राहु-केतु की शांति के लिए आते हैं. क्योंकि यही वो जगह हैं जहां आकर राहु और केतु को निष्क्रिय किया जा सकता है.
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पास श्रीकालाहस्ती मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इसे दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है.
पेन्नार नदी की शाखा स्वर्णमुखी नदी के तट पर बसे इस मंदिर को राहु-केतु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यह पूरी दुनिया से लोग राहु-केतु की शांति करवाने आते हैं.
यहां मौजूद शिवलिंंग को वायु तत्त्व लिंग माना जाता है, इसलिए पुजारी तक इस शिवलिंग का स्पर्श नहीं करते.
ऐसा माना जाता है कि अगर कोई यहां आकर शांति पाठ करा ले तो उसकी तकलीफें दूर हो जाती हैं. उसे राहु और केतु के ज्योतिषीय प्रभावों से बचाया जा सकता है.
वैदिक ज्योतिष में राहु को सिर माना गया है और जब राहु खराब होता है तो मनुष्य का दिमाग हमेशा बुरे कामों में ही लगता है.
वहीं केतु को धड़ माना गया है और ये जब कुंडली में खराब हो तो मनुष्य के हाथ से हमेशा कुछ न कुछ गलत होता है.