Jan 19, 2025, 08:09 PM IST

अघोरी के सामने क्या बोलता है मुर्दा

Kuldeep Panwar

शरीर पर राख, गले में हड्डियों की माला और इंसानी खोपड़ी टांगने वाले अघोरी साधुओं का जीवन बेहद रहस्यमयी माना जाता है.

श्मशानों के आसपास ही दिखने वाले अघोरी आम आदमी नहीं होते बल्कि ये तंत्र विद्या के सबसे बड़े सिद्ध माने जाते हैं.

अघोरी साधु को सिद्ध बनने के लिए श्मशान में कठोर साधना करनी पड़ती है, जिसमें मुर्दों के मांस और मदिरा का भोग लगता है.

अघोरी साधु ऐसी कठोर साधना करते हैं कि श्मशान में चिता में जल रहा मुर्दा भी उनकी सिद्धि से जिंदा इंसान जैसे बोलने लगता है.

अघोरी साधु को मुख्य रूप से 3 साधनाएं करनी पड़ती हैं, जो पूरी तरह गुप्त होती हैं और श्मशान घाट के अंदर ही पूरी की जाती हैं.

अघोरी चिता की भस्म (राख) शरीर पर लपेटते हैं. फिर काला चोगा पहनकर भगवान शिव का नाम लेने के बाद साधना शुरू करते हैं.

पहले अघोरी साध शव साधना करते हैं. रात के समय श्मशान में घंटों तक चलने वाली इस साधना के चरम पर मुर्दा बोलने लगता है.

शव साधना में अघोरी साधु मुर्दे को मांस और मदिरा का भोग लगाते हैं. इसके बाद मुर्दा अघोरी की हर इच्छा की पूर्ति करता है.

अघोरी फिर शिव साधना करते हैं, जिसमें मुर्दे को मांस-मदिरा का भोग लगाने के बाद उसकी छाती पर एक पैर रखकर खड़े हो जाते हैं.

यह साधना भगवान शिव की छाती पर काली रूप में मां पार्वती के पांव रखने पर आधारित है. घंटों ऐसे शिव साधना करने से अघोरी की शक्तियां बढ़ती हैं.

अघोरी श्मशान साधना भी करते हैं. जहां शव व शिव साधना में वे अकेले होते हैं, वहीं श्मशान साधना में मृतक का परिवार भी  शामिल होता है.

श्मशान साधना में अघोरी मुर्दे की जगह शवपीठ की पूजा करते हैं. हवनकुंड जलाकर गंगा जल चढ़ाते हैं और प्रसाद में दूध से बने मावे का भोग लगाते हैं.

कहा जाता है कि इन तीनों साधनाओं को सही प्रक्रिया से कर लेने वाला अघोरी अपराजित हो जाता है. वह हर काम पूरा कर सकता है.

DISCLAIMER: यह पूरी जानकारी सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. इसकी सत्यता की पुष्टि DNA Hindi नहीं करता है.