May 27, 2024, 11:20 AM IST
महाभारत के सबसे चर्चित पात्रों में से एक कर्ण बहुत ही शक्तिशाली और सबसे बड़े दानवीर थे. क्षत्रिय होने के बावजूद भी वो नौका चालक के घर पले-बढ़ें.
पौराणिक कथा के अनुसार कर्ण कुंती को सूर्य से वरदान में मिले पुत्र थे. लेकिन जन्म होते ही कुंती ने कर्ण को गंगा में बहा दिया, क्योंकि उस वक्त कुंती अविवाहित थी.
इसके बाद कर्ण को नौका चालक ने बचाया और अपनी पत्नी राधा संग उनका पालन पोषण किया. ऐसे में राजकुल में ना रहने के कारण पांडवों संग रणकौशल सीखने का मौका नहीं मिला.
हालांकि कर्ण में गुण क्षत्रिय के ही थे, कर्ण को हरा पाना या उनका वध कर पाना अंसभव था. लेकिन, ये 3 श्राप कर्ण की मौत का कारण बने. आइए जानते हैं इनके बारे में...
एक कथा के अनुसार, धनुर्विद्या सीखने के लिए भगवान परशुराम से कर्ण ने झूठ बोला, अंत में जब यह बात परशुराम को बता चली तो उन्होंने कर्ण को श्राप दिया कि वो सीखी हुई सारी विद्या को भूल जाएगा.
तब कर्ण ने अपनी शक्ति से धरती को निचोड़ कर सारा दूध निकाल लिया, जिससे धरती मां नाराज हो गईं और उन्होंने श्राप दिया कि समय आने पर वो कर्ण साथ छोड़ देंगी.
दूसरा श्राप धरती मां ने दिया, एक कथा के अनुसार एक बार एक छोटी कन्या के हाथों दूध जमीन पर गिर गया और वो रोने लगी, कर्ण ने उस रोती हुई लड़की को देख लिया और उसे दया आ गई.
वहीं एक बार कर्ण ने गलती से एक ब्राह्मण की गाय पर बाण चला दिया. ब्राह्मण के पास गाय के अलावा कुछ नहीं था और ब्राह्मण दुखी हो गया. इसपर उसने कर्ण को श्राप दिया कि....
समय आने पर तुम भी भटक जाओगे और अपनी मृत्यु से खुद को नहीं बचा पाओगे. महाभारत युद्ध के दौरान यही तीनों श्राप कर्ण की मौत का कारण बने..
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.