Aug 9, 2024, 02:40 PM IST

क्या थी भीष्म प्रतिज्ञा? जिसके कारण पितामह ने आजीवन किया था ब्रह्मचर्य पालन

Aman Maheshwari

भीष्म पितामह देवी गंगा और राजा शांतनु के पुत्र थे. उनका नाम देवव्रत रखा गया था बाद में इन्हें भीष्म पितामह नाम मिला था. उन्होंने भीष्म प्रतिज्ञा का पालन किया था.

देवव्रत के पिता शांतनु एक बार शिकार पर गए वहां वहां उन्होंने एक अत्यंत सुंदर स्त्री कन्या देखी. उस स्त्री का नाम सत्यवती था.

शांतनु ने सत्यवती से विवाह करने का प्रस्ताव निषादराज के समक्ष रखा. लेकिन निषादराज ने एक शर्त रखी कि, मेरी पुत्री से उत्पन्न संतान ही आपका अधिकारी बनेगा.

उन्हें यह शर्त स्वीकार नहीं थी क्योंकि, वह पहले ही देवव्रत को युवराज घोषित कर चुके थे. फिर वह वहां से वापस आ गए और काफी उदास रहने लगे.

देवव्रत के पूछने पर भी उन्होंने कुछ नहीं बताया. देवव्रत ने शांतनु के सारथी से पूछा तो उसने सारी बात बताई. इसके बाद देवव्रत निषादराज के पास सत्यवती का हाथ मांगने के लिए पहुंच गए.

निषादराज ने वह शर्त देवव्रत को बता दी. इस बात पर देवव्रत ने इस बात की प्रतिज्ञा ली कि. उनकी कन्या से उत्पन्न पुत्र ही राज्य का अधिकारी बनेगा.

इसके बाद निषादराज ने सवाल किया कि, भविष्य में तुम्हारे पुत्र ने उसे मारकर राज्य छिनना चाहा तो क्या होगा? तब देवव्रत ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की प्रतिज्ञा ली.

इस भीष्म प्रतिज्ञा के कारण ही देवव्रत का नाम भीष्म पड़ा था. उनकी पितृभक्ति देख उनके पिता ने देवव्रत को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया था.

Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.