Nov 14, 2023, 12:50 PM IST

द्रौपदी ने जब छल से भीष्म की तोड़ी थी प्रतिज्ञा

Ritu Singh

क्या आपको पता है कि एक बार भीष्म पितामह  क्रोध में आकर पांचों पांडवों को मारने का प्रण कर बैठे थे.

महाभारत युद्ध के दौरान ये प्रण सुनकर द्रोपदी घबरा गईं और कृष्ण के पास गईं तब भगवान कृष्ण ने द्रोपदी को एक युक्ति बताई.

दरअसल जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो मन से पांडवों की विजय चाहते हुए भी भीष्म पितामह को कौरवों की तरफ से युद्ध करना पड़ा था.

लेकिन दुर्योधन को हमेशा यही लगता था कि भीष्म पितामह के रहते पांडवों का कुछ नहीं होगा. दुर्योधन ने एक दिन गुस्से में भीष्म पर आरोप लगाया कि जब तक आपका प्रेम पांडवों के लिए बना रहेगा तब तक कौरव युद्ध नहीं जीत सकते.

यह सुनकर भीष्म को क्रोध आ गया और उन्हें उसी क्षण हवा में पांच बाण उठाकर यह घोषणा कर दी कि अगले दिन वह इन्हीं पांच बाणों से पांडवों का वध करेंगे.

लेकिन कृष्ण के कहे अनुसार द्रोपदी ने भीष्म की इस प्रतिज्ञा को तोड़ने के लिए एक छल किया था.

कृष्ण के कहने पर द्रौपदी ने लंबा घूंघट किया और कृष्ण के साथ भीष्म के शिविर की तरफ चल पड़ी.शिविर के पास पहुंचकर कृष्ण ने द्रौपदी से कहा कि पितामह से अपने पतियों के लिए आशीर्वाद ले लो लेकिन उन्हें अपना चेहरा मत दिखाना. 

भीष्म, ब्रह्म मुहूर्त में दरवाजे पर आए किसी याचक को खाली हाथ नहीं भेजते थे. इसी बात को ध्यान में रखते हुए द्रौपदी भी ब्रह्म मुहूर्त में ही भीष्म के शिविर के बाहर पहुंच गई. जब भीष्म बाहर आए तो उन्हें बाहर एक स्त्री दिखी जो रो रही थी.

भीष्म ने उससे उसकी परेशानी पूछी तो उसने कहा कि उसके पति इस महाभारत के युद्ध में पांडवों की तरफ से लड़ रहे हैं और उसे चिंता है कि भीष्म पितामह उनका वध कर देंगे. तब भीष्म ने वचन दिया कि उसे रोने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे उसके पति की हत्या नहीं करेंगे.

यह सुनते ही द्रौपदी ने पितामह के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया. भीष्म ने भी उसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया. तब द्रौपदी ने अपना घूंघट हटाया. भीष्म, द्रौपदी को पहचान गए और सारी बात समझ गए.