Oct 11, 2024, 03:53 PM IST

दहन नहीं, दशहरे के दिन यहां रावण का होता है श्रृंगार

Abhay Sharma

हिंदुओं के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा. इस दिन सार्वजनिक स्थानों, खुले मैदान में रावण दहन किया जाता है. 

लेकिन, आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता बल्कि रावण का श्रृंगार कर पूजा की जाती है. 

हम बात कर रहे हैं हमीरपुर जिले में स्थित राठ क्षेत्र के बिहुनी गांव के बारे में, जहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता है, बल्कि पूजा की जाती है.

इस गांव के बीच में  बैठे हुए मुद्रा में रावण की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है, रावण के  इस प्रतिमा को दशहरे के मौके पर रंग रोगन कर सजाया जाता है.  

यह प्रतिमा करीब हजार वर्ष पुरानी बताई जाती है और इस प्रतिमा को कब और किसने बनवाई थी, इसके बारे में गांव के बड़े बुजुर्गों को भी जानकारी नहीं है.

दशहरे के दिन यहां रावण की प्रतिमा को रंग रोगन कर सजाया जाता है और साज श्रृंगार के बाद ग्रामीण श्रद्धा से रावण को नारियल का चढ़ावा चढ़ाते हैं.  

वहीं यहां नवदंपत्तियों को रावण की प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेने की भी परंपरा है. मान्यता है यहां लोगों की मनोकामना पूरी होती है.  

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.