Jan 14, 2025, 03:17 PM IST

भगवान शंकर की बेटियों के नाम क्या हैं

Kuldeep Panwar

हिंदू धर्म में भगवान शिव का दर्जा सृष्टि रचयिता ब्रह्मा और विष्णु के बराबर है. उन्हें आदि और अंत, दोनों का देवता माना गया है.

अघोरी रूप में रहने वाले भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती मानी गई हैं और दोनों का निवास स्थान कैलाश पर्वत पर माना गया है

भगवान शिव और माता पार्वती के दो पुत्र भगवान श्रीगणेश और भगवान कार्तिकेय थे. कार्तिकेय बड़े हैं, जिन्हें युद्ध का देवता माना गया है.

क्या आपको पता है कि भगवान शिव की पांच बेटियां भी थीं, जिनका जन्म अनजाने में ही हो गया था. मां पार्वती भी इनके बारे में नहीं जानती थीं.

पौरोणिक कथा के मुताबिक, एक बार माता पार्वती के साथ सरोवर में जलक्रीड़ा करते समय संयोगवश भगवान शिव का वीर्य स्खलन हो गया था.

भगवान शिव ने वीर्य को पत्ते पर रख दिया, जिससे संयोगवश नागरूपी पांच कन्याएं जन्म ले गईं, लेकिन मां पार्वती को इसका पता भी नहीं लगा.

भगवान शिव मां पार्वती से छिपकर हर सुबह सरोवर पर जाकर अपनी पांचों नागकन्या पुत्रियों से मिलते थे और उनके साथ खेला भी करते थे.

मां पार्वती को शक हुआ तो वे भी शिव के पीछे सरोवर चली गईं. वहां नागकन्याओं को देखकर क्रोध में उन्होंने उन्हें मारने की कोशिश की.

भगवान शिव ने मां पार्वती को रोककर उन नागकन्याओं के जन्म की पूरी कथा बताई. तब मां पार्वती ने उन पांचों को पुत्री स्वीकार कर लिया.

भगवान शिव की इन पांच पुत्रियों के नाम जया, विषहर, शामलीबारी, देव और दोतली बताए जाते हैं, जिनमें से हर एक का अद्वितीय स्थान है.

कथा के मुताबिक, सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को इन शिव पुत्रियों की पूजा करने वाले के परिवार को कभी सर्पदंश का भय नहीं होता.

शिव पुत्रियों की पूजा करने वाले पर उनकी कृपा होती है और उसे धन-वैभव की कमी नहीं होती है. साथ ही उसका सुख-सौभाग्य भी बढ़ता है.

पौरोणिक कथाओं में यह भी है कि भगवान शिव की ये पांच नागकन्याएं पांच देवियां थीं, जिनका ब्रह्मांडीय व्यवस्था में एक अद्वितीय स्थान है.

मान्यता है कि शिव पुत्रियों में जया में मां सरस्वती, विषहर में मां लक्ष्मी, शामलीबारी में मां पार्वती, देव में मां गंगा और दोतली में मां यमुना का अंश है.

इन देवियों का अंश होने के कारण ही पौरोणिक कथाओं में कई जगह मां लक्ष्मी को भगवान शिव की पुत्री के तौर पर पुकारा गया है.

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