हिंदू विवाह में सात फेरे लेने का बहुत गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है.
ये सात फेरे सिर्फ एक रस्म नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच एक पवित्र बंधन का प्रतीक हैं. आइए जानते हैं इन सात फेरों का क्या महत्व है.
हिंदू धर्म में मान्यता है कि इंसान सात जन्म लेता है. इन सात फेरों के जरिए दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को सात जन्मों तक अपना जीवनसाथी मानने का वादा करते हैं.
हर फेरे के साथ एक वचन लिया जाता है जो पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है. ये वचन हैं धैर्य, विश्वास, सम्मान, सहयोग और साथ-साथ जीवन जीने का संकल्प.
मानव शरीर में सात चक्र होते हैं. इन सात फेरों के माध्यम से वर-वधू के ये सात चक्र एक दूसरे से जुड़ते हैं और दोनों आध्यात्मिक स्तर पर भी जुड़ जाते हैं.
सात फेरे सात ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनका हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. इन फेरों के माध्यम से, जोड़े ग्रहों की शक्तियों का आशीर्वाद लेते हैं.
इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं और सात फेरे जीवन के कई तरह के रंगों का प्रतिनिधित्व करते हैं. ये फेरे जीवन के उतार-चढ़ाव को एक साथ सहने की शक्ति देते हैं.
सात फेरे सात पवित्र नदियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो जीवनदायिनी हैं. ये फेरे पति-पत्नी के रिश्ते को पवित्र और अटूट बनाने का संकल्प लेते हैं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.