May 22, 2024, 12:36 PM IST
महाभारत से जुड़ी कई ऐसी कथाएं हैं, जो व्यक्ति को अचंभित कर देती हैं. ऐसी ही एक कथा अर्जुन के रथ को लेकर भी है.
अर्जुन का रथ स्वयं भगवान श्रीकृष्ण चला रहे थे. रथ के पहियों को शेषनाग ने पकड़ रखा था, ताकि दिव्यास्त्रों के प्रहार से रथ पीछे की तरफ न खिसके.
इस रथ के ऊपर हनुमान जी भी ध्वज के साथ विराजमान थे. यानी अर्जुन के रथ की रक्षा स्वयं श्री कृष्ण, हनुमान जी और शेषनाग कर रहे थे.
महाभारत युद्ध जब समाप्त हुआ तो अर्जुन का रथ जलकर खाक हो गया था. पौराणिक कथा के अनुसार, जब युद्ध समाप्त हो गया...
तो अर्जुन ने श्री कृष्ण से कहा पहले आप रथ से उतरिए, मैं आपके बाद उतरूंगा. इसपर कृष्ण ने कहा नहीं अर्जुन पहले आप उतरें.
अर्जुन के रथ से उतरने के बाद श्री कृष्ण भी रथ से उतर गए और शेषनाग पाताल लोक चले गए वहीं हनुमान जी भी रथ के ऊपर से अंतर्ध्यान हो गए.
सभी के रथ से उतर जाने के बाद रथ पूरी तरह से खाक हो गया, जिसे देखकर अर्जुन हैरान रह गए और श्री कृष्ण से इसका कारण पूछा.
तब श्री कृष्ण ने बताया कि ये रथ तो भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण के दिव्यास्त्रों के प्रहार से पहले ही खत्म हो चुका था.
लेकिन, इसपर हनुमान जी विराजमान थे और मैं स्यंम इसका सारथी था. इसलिए ये रथ मेरे संकल्प की वजह से चल रहा था.
अब इस रथ का काम पूर हुआ, इसलिए जैसे ही मैंने ये रथ छोड़ा ये पूरी तरह से जलकर खाक हो गया.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.