Mar 5, 2024, 10:30 AM IST

 बद्रीनाथ में शंख क्यों नहीं बजता है?

Ritu Singh

हिंदू धर्म के चार धामों में से एक, भद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थान है.

जंगली बेर बद्री की प्रचुरता के कारण ही इस धाम का नाम बद्री पड़ा. यह पहले शिव और पार्वती का स्थान था.

इस स्थान पर शंख बजाना वर्जित है. आख़िर इसका पौराणिक कारण क्या है? 

यहां भगवान विष्णु की मूर्ति स्वतः ही पृथ्वी पर प्रकट हो गई थी. बद्रीनाथ में एक मंदिर है, जिसमें विष्णु जी की वेदी है. यह 2,000 वर्षों से अधिक समय से एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल रहा है.

पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में हिमालय में असुरों आतंक था. वे ऋषि-मुनि को  पूजा- ध्यान लगाने में बाधा डालते थे.

ये राक्षस ऋषि-मुनियों को खा जाते थे. राक्षसों के इस क्रोध को देखकर ऋषि अगस्त्य ने मदद के लिए माँ भगवती का आह्वान किया.

तब वह देवी कुष्मांडा के रूप में प्रकट हुईं और अपने त्रिशूल और खंजर से सभी राक्षसों, दानवों और राक्षसों का वध कर दिया

लेकिन अतापी और वातापी नाम के दो राक्षस मां कूष्मांडा के प्रकोप से बच गये. इनमें से अतापी मंदाकिनी नदी में छिप गया जबकि वातापी बद्रीनाथ जाकर एक शंख में छिप गया.

तभी से बद्रीनाथ धाम में शंख बजाना वर्जित है और यह परंपरा आज भी जारी है.

एक मत वैज्ञानिकों का ये भी है कि निश्चित आवृत्ति की आवाज से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. पहाड़ी इलाकों में मिट्टी इससे भूस्खलन भी हो सकता है.