May 30, 2024, 10:58 PM IST
महाभारत युद्ध के पहले कौरवों की ओर से दुर्योधन और पांडव की ओर से अर्जुन श्रीकृष्ण से युद्ध में अपनी ओर से लड़ने का प्रस्ताव लेकर द्वारिका गए.
जब दुर्योधन और अर्जुन वहां पहुंचे, तब भगवान कृष्ण सो रहे थे. ऐसे में दोनों कृष्ण के जागने का इंतजार करने के लिए वहीं बैठ गए.
जब भगवान कृष्ण उठे तो उन्होंने अपने चरणों के पास अर्जुन को देखा, वहीं दुर्योधन उनके सिरहने पर खड़े हुए थे. ऐसे में पहले नजर अर्जुन पर पड़ी.
भगवान कृष्ण ने अर्जुन से वहां आने का कारण पूछा तो अर्जुन ने कहा मैं आपसे युद्ध में आपकी सहायता मांगने आया हूं.
इतने में सिरहाने पर बैठे हुए दुर्योधन ने कहा कृष्ण मैं भी आपसे सहायता के लिए आया हूं. मैं अर्जुन से पहले आया हूं, इसलिए सहायता मांगने का पहला अधिकार मुझे मिलना चाहिए.
ऐसे में कृष्ण ने कहा दुर्योधन मेरी नजर पहले अर्जुन पर पड़ी. लेकिन तुम कहते हो कि तुम पहले आए हो. इसलिए मैं तुम दोनों की ही सहायता करूंगा.
कृष्ण ने कहा, मैं तुम दोनों में से एक को अपनी सेना दे दूंगा और दूसरे के साथ मैं स्वयं रहूंगा. अब तुम दोनों मुझे या मेरी सेना में से किसी एक को चुन सकते हो.
दुर्योधन श्री कृष्ण की विशाल नारायणी सेना का सहयोग लेने ही आया था, ऐसे में जब अर्जुन ने श्रीकृष्ण को अपने साथ रखने की इच्छा प्रकट की तो दुर्योधन प्रसन्न हो गया.
श्री कृष्ण ने युद्ध के लिए दुर्योधन को अपनी सेना दे दी और स्वयं पांडवों के साथ हो गए. बता दें कि नारायणी सेना को चतुरंगिनी सेना भी कहते थे.
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