Jul 24, 2024, 03:20 PM IST

सीता-राम के कारण आज भी एक आंख से देखता है कौवा

Ritu Singh

धार्मिक दृष्टि से हिंदू धर्म में कौवे को विशेष स्थान है. कौवे को पूर्वजों का रूप माना गया है 

और ये भी कि शनि के कष्ट से मुक्ति चाहिए तो कौए को खाना खिलाना चाहिए. कौए को शनिदेव का वाहन और दूत भी कहा जाता है.

लेकिन क्या आपको पता है कि कौवा केवल एक समय में केवल एक ही आंख से देख सकता है जबकि उसकी दोनों ही आंखे फंक्शनल होती हैं.

शकुन शास्त्र के अनुसार एक बार भगवान राम और उनकी पत्नी सीता इस चट्टान पर बैठकर प्रकृति की ओर देखते हुए बातें करते थे.

उसी समय भगवान इंद्र के पुत्र जयंत, कौवे के रूप में इस चट्टान पर आते हैं.

सीता जी को भी नहीं पता था कि कौए का रूप धारण करके आया हुआ जयन्त ही है. ये कौआ यूं ही किसी चट्टान पर नहीं बैठा.

 इसके बजाय, वह सीता के पैरों के पास गया और अपनी चोंच से सीता के पैरों पर चोंच मारी. इससे देवी के पैर से खून बहने लगा.

अपनी पत्नी के पैर से खून बहता देख भगवान श्री राम को क्रोध आ गया और उन्होंने कौवे पर अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया.

कौवे ने अपनी गलती के लिए भगवान राम से क्षमा मांगी और उनसे अपनी जान बख्शने की भीख मांगी.

यदि श्रीराम ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने के बाद उसे वापस ले लेते हैं तो यह ब्रह्मास्त्र का अपमान होगा. तीर को वापस लेना मुश्किल हो गया.

लेकिन इसके प्रभाव को भगवान ने कम कर दिया  और वह तीर एक आंख में जा लगा.

कौए के रूप में जयंत की एक आंख निकाल ली. इस घटना के बाद से ही कौवे हर चीज़ को एक आंख से देखने लगे.