भारतीय संस्कृति में रिश्तों की कीमत और बड़ों का सम्मान हमारी परंपरा का अहम हिस्सा है. इसके तहत छोटों द्वारा बड़ों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेना एक आम प्रथा है.
आमतौर पर बच्चे अपने बड़ों जैसे माता-पिता, दादा-दादी और अन्य रिश्तेदारों के पैर छूते हैं. लेकिन एक दिलचस्प और अनोखी परंपरा यह है कि भांजा अपने मामा के पैर नहीं छूता है.
आइएं यहां जानते हैं इसके पीछे क्या कारण हैं
इस परंपरा के पीछे कारण यह है कि भांजे या भतीजी को मामा के लिए 'मानदान' माना जाता है.
इसका अर्थ है बहुत सम्मानित या सम्मान के योग्य.यह सम्मान खास तौर पर बेटी के बच्चे को दिया जाता है.
यह कन्यादान की परंपरा से भी जुड़ा हुआ है, जहां कन्यादान के दौरान बेटी का पिता उसके पैर छूकर उसे सम्मान देता है. यही कारण है कि बेटी के बेटे यानी भांजे को मामा पक्ष की ओर से खास सम्मान और आदर दिया जाता है.
ऐसी भी मान्यता है कि अगर कोई भतीजा या भतीजी अपने मामा के पैर छूता है तो इसे अशुभ माना जाता है
इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य उन विशेष रिश्तों को विशेष आदर व सम्मान देना है जो सांस्कृतिक या पारंपरिक रूप से पूजनीय हैं.
यह प्रथा मुख्य रूप से भगवान कृष्ण और उनके मामा कंस की फेमस कहानी से भी जुड़ी हुई है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है, जो लोक कथाओं और मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है