Mar 26, 2024, 10:59 AM IST

भगवान जगन्नाथ का रथ एक मजार पर क्यों रुकता है?

Ritu Singh

हर साल जब भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकलती है तो उनके रथ को कुछ देर के लिए एक मजार पर रोका जाता है.

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है. जिसके कारण भगवान के रथ को रोकना जरूरी होता है.

मुगल काल के बंगाल का सूबेदार जहांगीर कुली खां और एक ब्राह्मण महिला का पुत्र हुआ, जिसका नाम था-सलाबेग 

सलाबेग अपनी मां की तरह ही भगवान जगन्नाथ का भक्त बन गया था.

 सलाबेग 17वीं शताब्दी की शुरुआत में एक धार्मिक कवि थे जिन्होंने जगन्नाथ भजन लिखे थे.

एक बार सालबेग जगन्नाथ मंदिर जा रहे थे लेकिन मुस्लिम होने के कारण उनको मंदिर में प्रवेश नहीं मिला.

दुखी सालबेग ने ओडिशा से वृन्दावन की पैदल तीर्थयात्रा की और साधुओं की संगति में एक तपस्वी का जीवन जीने लगे.

इस यात्रा से ओडिशा लोटते समय सालबेग की तबियत खराब हो गई और उन्होंने भगवान जगन्नाथ से उन्हें दर्शन देने की प्रार्थना की.

उस समय जगनाथ यात्रा निकल रही थी और रथ यात्रा गुंडिचा मंदिर की ओर निकल रही थी कि अचानक रथ सालबेग के झोपड़ी के पास अचानक रुक गया.

रथ आगे तब तक नहीं बढ़ा जब तक सालबेग ने भगवान जगनाथ का दर्शन नहीं कर लिया.

कथा के मुताबिक भगवान जगनाथ स्वयं सालबेग से मिलने आए थे. सालवेग की बीमारी से मौत हुई और वहीं उनका मजार बन गया.

इसके बाद से हर साल रथयात्रा सालबेग के मजार पर कुछ देर रुककर ही आगे बढ़ती है.