महाभारत में पांडव रिश्ते में कौरवों के भाई थे लेकिन कौरव उन्हें अपना दुश्मन मानते थे.
लेकिन क्या आपको पता है कि दुर्योधन ने अपने दुश्मन भाई अर्जुन को एक नहीं, 3 बाण दिए थे.
असल में एक बार अर्जुन ने दुर्योधन की जान बचाई थी जिसके बदले दुर्योधन से अर्जुन ने तीन तीर मांगे थे.
आखिर क्यों अर्जुन ने दुर्योधन की रक्षा की और वरदान में मिले उन तीरों का अर्जुन ने क्या किया था. चलिए जानें.
असल में जब पांडव वनवास में थे तब पांडव एक यज्ञ कर रहे थे और जैसे ही दुर्योधन को यज्ञ के बारे में पता चला तो वह पांडवों के यज्ञ में विघ्न डालने की मंशा से उनके यज्ञ में सम्मिलित होने पहुंचा.
दुर्योधन ने कुटिलता से यज्ञ में बैठा और उसमें अड़चनें पैदा करने लगा और इससे यज्ञ बार-बार रूक रहा था.
अर्जुन दुर्योधन की मंशा समझ गए और तब उन्होंने अपने पिता इंद्रदेव से यज्ञ की विपदा को दूर करने की प्रार्थना की.
इंद्रदेव ने तब दुर्योधन से युद्ध हेतु एक गंधर्व को भेजा. गंधर्व ने दुर्योधन को रोकना चाहा लेकिन दुर्योधन ने अपनी कुटिलता नहीं रोकी.
तब दुर्योधन और गंधर्व का युद्ध हुआ और गंधर्व देव दुर्योधन को स्वर्ग में बंधी बनाकर ले आए. युद्धिष्ठिर को जैसे ही इस बात का पता चला उन्होंने अर्जुन को दुर्योधन की रक्षा के लिए इन्द्रलोक भेजा.
अर्जुन ने दुर्योधन की रक्षा की और इंद्रदेव को दुर्योधन को दंडित करने से रोक दिया. अर्जुन ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि दुर्योधन उनके यज्ञ में आया हुआ एक अतिथि था जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी पांडवों की थी.
दुर्योधन की जान बचाने के एवज में ही अर्जुन ने दुर्योधन से वरदान मांगा था. यह वरदान था तीन तीरों का. अर्जुन धनुर्धर थे तो दुर्योधन को लगा कि तीन तीर देना कौन सी बड़ी बात है और और उसने अर्जुन को तीन तीर दे दिए.
जब दुर्योधन ने हां कर दी तब अर्जुन ने दुर्योधन से तीर के साथ वचन भी मांगे. दुर्योधन से अर्जुन ने कहा कि यह 3 तीर तीन योद्धाओं के लिए हैं.
अर्जुन ने कहा कि आगे अगर कभी भी कौरव और पांडवों का युद्ध हुआ तो जो भी तीन महारथी योद्धा पांडवों पर भारी पड़ेंगे उन योद्धाओं की मृत्यु के लिए अर्जुन ने तीन तीरों का प्रयोग करेंगे.