Jul 25, 2024, 06:42 AM IST

दुर्योधन की पत्नी ने अर्जुन से क्यों की थी शादी?

Kuldeep Panwar

महाभारत के युद्ध को दुनिया में आज तक का सबसे भयंकर युद्ध माना जाता है, जिसमें महज 18 दिन के अंदर करोड़ों लोग मारे गए थे.

महाभारत का युद्ध आपस में चचेरे भाइयों कौरवों-पांडवों के बीच हस्तिनापुर की राजगद्दी के लिए हुआ था, जिसका सबसे बड़ा कारण दुर्योधन को माना जाता है.

सबसे बड़े कौरव भाई दुर्योधन ने ही भरी सभा में दुशासन से द्रौपदी का चीरहरण कराया था और पांडवों का राजपाट धोखे से जुए में छीना था.

अपनी पत्नी द्रौपदी के इस अपमान का बदला लेने के लिए ही पांडव महाभारत के युद्ध के लिए तैयार हुए थे, जिसमें सबसे ज्यादा कौरव योद्धा अर्जुन ने ही मारे थे. 

इसके बावजूद महाभारत के युद्ध के बाद का एक अजब किस्सा ये है कि दुर्योधन की पत्नी भानुमति का विवाह अर्जुन के ही साथ हुआ था.

दरअसल आपसी कट्टर दुश्मनी के बावजूद यह विवाह होने के पीछे गहरा मकसद था, जिसमें पुराने प्यार को पाने और मौजूदा तकरार को मिटाने का इच्छा जुड़ी हुई थी.

भानुमति अपने समय पर पृथ्वी की सबसे सुंदर स्त्रियों में से एक मानी जाती थी, जो कलिंग (कन्नौज) के राजा चित्रांगद वर्मा की बेटी थी. 

कुछ विद्वानों ने दावा किया है कि भानुमति अर्जुन से प्यार करती थीं और उन्हें ही जीवनसाथी बनाना चाहती थी, लेकिन अर्जुन उनके स्वंयवर में नहीं पहुंच सके थे.

स्वयंवर में पहुंचे दुर्योधन को भानुमति की खूबसूरती देखकर उनसे प्यार हो गया, लेकिन भानुमति ने उन्हें पति चुनने से इंकार कर दिया था.

क्रोधित दुर्योधन ने कर्ण की मदद से भानुमति और उसकी सहेली सुप्रिया का अपहरण कर लिया था. हस्तिनापुर में भानुमति का दुर्योधन और सुप्रिया का विवाह कर्ण से हुआ था.

भानुमति और दुर्योधन के दो बच्चे बेटा लक्ष्मण और बेटी लक्ष्मणा थे. लक्ष्मणा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण के बेटे साम्ब से हुआ था.

मान्यता है कि भानुमति ने दुर्योधन को महाभारत का युद्ध लड़ने से रोका था, लेकिन अहंकार में डूबे दुर्योधन ने उसकी सलाह ठुकरा दी थी.

युद्ध में दुर्योधन की मौत के बाद कौरवों की सभी स्त्रियों को पांडवों ने अपने परिवार की स्त्रियों के बराबर ही सम्मान दिया था, जिससे भानुमति बेहद प्रभावित हुई थीं.

भानुमति ने अर्जुन से विवाह करने का प्रस्ताव रखा था ताकि कौरवों-पांडवों की दुश्मनी खत्म हो जाए और उसके बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी अर्जुन की हो जाए.

माना जाता है कि भानुमति ने यह प्रस्ताव भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर दिया था, जिसके लिए शुरुआत में वह तैयार नहीं थी, लेकिन बाद में मान गई थी.

भानुमति और अर्जुन का विवाह होने से दोनों पक्षों के बीच की दुश्मनी खत्म हो गई. इसके बाद ही 'कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा' कहावत प्रचलित हुई थी.