May 27, 2024, 11:21 AM IST

श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका?

Abhay Sharma

जब भी महाभारत का जिक्र होता है तो कई लोगों के मन में ये सवाल आता है कि आखिर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जुआ खेलने से रोका क्यों नहीं?

क्योंकि अगर कृष्ण चाहते तो युधिष्ठिर जीत सकते थे, उन्हें द्रुत क्रीणा (जुआ) में सबकुछ दांव पर लगाने के बाद कम से कम द्रौपदी को दांव पर लगाने से रोक सकते थे.  

इसका जवाब महाभारत में कृष्ण नें उद्धव के साथ संवाद में दिया है, जब उद्धव नें कृष्ण से ये सवाल पूछा तो कृष्ण ने मुस्कुराते हुए कहा...

हे उद्धव मैं सचमुच पांडवों के साथ था और मैंने सदैव उनका हित करना चाहा. मैं सदैव अपने हर भक्त के साथ खड़ा रहता हूं. 

युधिष्ठिर जुएं में इसलिए हारे क्योंकि उनमें और दुर्योधन में एक अंतर था और वो अंतर था विवेक का. दुर्योधन को द्रुत क्रीणा नहीं आती थी, लेकिन विवेक का उपयोग किया और कहा कि उसकी तरफ से शकुनी खेलेंगे. 

 वहीं पांडवों को भी नहीं आता था लेकिन वे स्वयं खेलने लगे, वह भी अपने विवेक का उपयोग करते हुए कह सकते थे कि उनकी तरफ से मैं यह खेल खेलूंगा.

उद्धव ने श्री कृष्ण से कहा आप तो पासे भी पलट सकते थे. इसपर कृष्ण ने कहा मैं बिल्कुल ऐसा कर सकता था पर मैं करता कैसे? क्योंकि पांडवों ने मुझे अपनी प्रार्थना में बांध लिया था.  

पांडवों द्रुत क्रीणा मुझसे छिपकर खेलना चाहते थे और उन्होंने मुझे अपनी प्रार्थना में बांधकर कहा था कि जब तक आपको पुकारा ना जाए आप अंदर नहीं आएंगे. 

श्री कृष्ण ने उद्धव से कहा अब बताओ मैं अंदर कैसे आता और उन्हें कैसे रोकता. कृष्ण ने कहा उद्धव मैं भी कुछ नियमों में बंधा हूं. पांडव को भी अपने विवेक का उपयोग करना चाहिए, जो विवेक से काम लेता है वही जीतता है. 

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.