Apr 15, 2024, 03:28 PM IST

हनुमान जी ने वानर रूप में क्यों लिया था जन्म?

Smita Mugdha

हनुमान जी को रुद्रावतार माना जाता है, लेकिन यह प्रश्न उठता है कि आखिर वानर रूप में ही जन्म क्यों हुआ?

पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी की मां अंजना पूर्व जन्म में इंद्रराज के महल की अप्सरा पुंजिकस्थला थीं.

स्वभाव से बहुत चंचल भी थीं जिसकी वजह से उन्होंने एक ऋषि का उपहास किया था जिससे वह रुष्ट हो गए थे. 

ऋषि ने पुंजिकस्थला को अगले जन्म में वानरी के रूप में जन्म लेने का शाप दिया जिससे वह बेहद दुखी हो गईं.

ऋषि के शाप से मुक्ति के लिए उन्होंने तपस्या का मार्ग चुना और घोर तपस्या करने के लिए वन में चली गईं. 

भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए तब उन्होंने उनसे शाप की मुक्ति का रास्ता सुझाने के लिए कहा. 

भगवान शिव ने तब पुंजिकस्थला समझाया कि त्रेता युग में जन्म लेने के लिए वह खुद उनके गर्भ से जन्म लेंगे.

वानरराज केसरी से विवाह के बाद भगवान शिव का कथन सत्य हुआ और वह हनुमान जी के रूप में अवतरित हुए.

पुत्र को जन्म देते समय अंजनी माता वानरी रूप में थीं इसलिए हनुमान जी ने भी वानर रूप में ही जन्म लिया.