Apr 27, 2025, 02:14 AM IST
दिल्ली के 6 लैंडमार्क, जो जल्द ही मिट जाएंगे
Kuldeep Panwar
भारत की राजधानी दिल्ली का इतिहास बेहद समृद्ध रहा है, जिसके अभूतपूर्व उदाहरण पूरे शहर में हर कोने में इमारतों के रूप में बिखरी हुई है.
हजारों साल से दिल्ली अलग-अलग सत्ताओं के दौरान उनका राजनीतिक केंद्र बनी रही है, जिससे यहां विभिन्न सांस्कृतिक विरासत दिखती है.
ये विरासत हर बदलती सत्ता के साथ इतिहास के पन्नों में दफन होती रही है. ऐसे ही 6 लैंडमार्क्स के बारे में हम बता रहे हैं, जो आज नहीं दिखते हैं.
दिल्ली 14वीं सदी में सुल्तान फिरोज शाह तुगलक का फिरोजाबाद होती थी. मौजूदा फिरोजशाह कोटला के करीब बसा यह शहर आज गायब है.
टूटी दीवारों का खंडहर बने फिरोजाबाद में आप वो मशहूर अशोक स्तंभ देख सकते हैं, जिसे फिरोज शाह हरियाणा के तोपारा से लाए थे.
भूली भुटियारी के महल को आज की तारीख में भुतिया स्थान कहते हैं, लेकिन तुगलक काल की यह शिकारगाह किस्सों-कहानियों से भरी है.
दिल्ली रिज पर मौजूद इस जगह के बारे में कहते हैं कि यहां भूली भुटियारी नाम की जादूगरनी रहती थी, जिसके नाम पर यह जगह पॉपुलर हुई.
सदियों पुराने महल का आर्किटेक्चर खराब हुआ है, लेकिन शाम को यहां जाने पर लगी रोक ने इसे एडवेंचर सीकर्स का बड़ा अटरेक्शन बनाया है.
दिल्ली की अग्रसेन की बावली तो सुनी होगी, लेकिन दिल्ली में ऐसी सैकड़ों बावड़ी थीं, जिनमें नहाने, खेती करने और पीने का पानी जमा होता था.
मॉडर्न वाटर सप्लाई सिस्टम को बनाने के चक्कर में इनमें से अधिकतर गायब हो गई पर गंधक की बावली, राजाओं की बावली जैसी कुछ अब भी मौजूद हैं.
खिड़की गांव कॉलोनी में ऐतिहासिक खिड़की मस्जिद भी है, जो भारत में अपनी तरह के खास आर्किटेक्चर वाली गिनती की मस्जिदों में से एक है.
खिड़की मस्जिद 14वीं सदी में फिरोज शाह तुगलक के प्रधानमंत्री खान-ए-जहां जुनान शाह ने बनवाई थी, जिसकी दीवारों का खिड़कीनुमा आर्किटेक्चर खास है.
14वीं सदी में ग्यासुद्दीन तुगलक का बनाया तुगलकाबाद फोर्ट कभी तुगलक सल्तनत की राजधानी था. आज इसकी मजबूत दीवारों के खंडहर ही बचे हैं.
अब तुगलकाबाद किला उजाड़ हालात में हैं, जिसका गढ़ बीतते सालों के साथ और अधिक जीर्ण-शीर्ण होकर बस खोजी लोगों का आश्रय स्थल रह गया है.
दिल्ली के बीचोंबीच लोदी गार्डन में लोदी वंश की कई इमारतें और मकबरे हैं. जहां इसके खूबसूरत गार्डन की देखभाल होती है, वहीं मकबरे अनदेखी का शिकार है.
लोदी गार्डन के मकबरे इंडो-इस्लामिक वास्तुकला की उत्कृष्ट शैलीथे, लेकिन आज वे गुमनामी में मर रहे हैं, जिनकी कई संरचनाएं आज भी अज्ञात हैं.
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