Apr 15, 2025, 05:18 PM IST
कौन वसूलता है दिल्ली कनॉट प्लेस का किराया
Kuldeep Panwar
दिल्ली आने वाले टूरिस्ट्स को लाल किला, कुतुब मीनार जैसी चीजों के साथ ही जिस जगह जरूर जाने की सलाह दी जाती है, वो कनॉट प्लेस है.
दिल्ली का दिल कहलाने वाले कनॉट प्लेस मार्केट का डिजाइन जॉर्जियाई वास्तुकला पर आधारित है, जो यहां विदेश पहुंच जाने जैसा अहसास देता है.
इस मार्केट का यह अद्भुत और मनमोहक डिजाइन ब्रिटिश वास्तुकार रॉबर्ट टोर रसैल ने डब्ल्यू. एच. निकोलस के साथ मिलकर बनाया था.
करीब 30 हेक्टेयर में फैला मार्केट 1929 में बनना शुरू हुआ था. 1933 में तैयार होने पर इसका नाम ड्यूक ऑफ कनॉट के नाम पर रखा गया.
कनॉट प्लेस में इलेक्ट्रॉनिक्स गैजेट्स, रेडीमेड गार्मेंट्स से लेकर तकरीबन हर तरह की दुकानों के साथ ही नामी-गिरामी कंपनियों के ऑफिस भी हैं.
कनॉट प्लेस की मार्केट वैल्यू के हिसाब से यह दुनिया की सबसे महंगी जगह में से एक माना जाता है. क्या आप जानते हैं इसका मालिक कौन है?
कनॉट प्लेस का असली मालिकाना हक भारत सरकार के पास है. हालांकि यहां अलग-अलग संस्थाओं के पास बहुत सारी संपत्तियां मौजूद हैं.
CP नाम से मशहूर इस बेहद महंगे मार्केट का किराया आपको चौंका सकता है, क्योंकि यह आपके मंथली एंटरटेनमेंट अलाउंस से भी कम है.
पुरानी दिल्ली किराया नियंत्रण अधिनियम-1958 के तहत सीपी में मौजूद कई संपत्तियों के किरायेदार 3,500 रुपये महीना से भी कम किराया देते हैं.
इन संपत्तियों पर ऐसे किरायेदार काबिज हैं, जिन्हें देश की आजादी से भी पहले जगह आवंटित हुई थी. इन किरायेदारों को बेदखल नहीं कर सकते.
इनमें से ज्यादातर किरायेदारों ने अपनी जगह महंगे शोरूमों और फूड चेन्स को दे रखी है, जिनसे वे खुद लाखों रुपये महीना किराया वसूलते हैं.
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