Aug 21, 2024, 07:02 AM IST

दिल्ली का वो पुल, जो हर बार डूब जाता है

Kuldeep Panwar

इस मानसून में भी दिल्ली का 'झील' बनना जारी है. ऐसे में दिल्ली का वो ऐतिहासिक पुल फिर चर्चा में है, जहां हल्की सी बारिश में बसें डूब जाती हैं.

हम बात कर रहे हैं मिन्टो ब्रिज की, जिसे नई पीढ़ी शिवाजी ब्रिज के नाम से जानती है. 20 अगस्त को भी बारिश ने इसे चर्चा में ला दिया है.

दरअसल 20 अगस्त (मंगलवार) को दिल्ली में जमकर बारिश हुई है. राजधानी में महज आधा घंटे हुई बारिश ने जगह-जगह जलभराव कर दिया है.

इस थोड़ी देर हुई बारिश में भी मिन्टो ब्रिज पानी में डूब गया है. इस ब्रिजे के बाहर ऑटोरिक्शा भी डूब गया है, जिसके वीडियो वायरल हुए हैं.

मिन्टो ब्रिज शहर की लाइफलाइन कहलाने वाली नई दिल्ली रेलवे स्टेशन इलाके और कनॉट प्लेस को जोड़ने वाली सड़क पर बना रेलवे पुल है.

साल 1931 में बनकर तैयार हुए  मिन्टो ब्रिज का नाम 1905 से 1910 तक भारत के वायसराय रहे लॉर्ड मिन्टो के नाम पर बनाया गया था.

आजादी के बाद भी इस पुल को लंबे समय तक धरने-प्रदर्शन का केंद्र माना जाता था, जिससे इसकी ऐतिहासिकता बहुत ज्यादा मानी जाती है.

हालांकि आजादी के कुछ दशक बाद इस ऐतिहासिक पुल का नाम बदलकर मिन्टो ब्रिज के बजाय छत्रपति शिवाजी ब्रिज कर दिया गया था.

मिन्टो ब्रिज की ऐतिहासिकता का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि कभी यहीं पर हिंदी के दो मशहूर लेखकों विष्णु प्रभाकर व भीष्म साहनी की बैठकें जमा करती थीं.

लाल ईंटों से बने इस पुल का अब रेलवे लाइनें बढ़ाने के लिए चौड़ीकरण कर दिया गया है. यहां पानी का भरना पूरी मीडिया के लिए खबर बन जाता है.

दरअसल शायद ही कोई बारिश का सीजन जाता होगा, जिसमें मिन्टो ब्रिज में पानी भरने के कारण उसमें बस या ट्रक डूबने की वीडियो वायरल नहीं होती है.

साल 2020 में मिन्टो ब्रिज के नीचे जमा पानी में DTC की एक बस फंसने के कारण एक आदमी की डूबने के चलते मौत हो गई थी.

साल 1990 का भी एक फोटो सोशल मीडिया पर बेहद चर्चा में रहता है, जिसमें DTC की एक बस पानी में डूबी हुई दिखाई दे रही है.

जुलाई 1958 की मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से मिन्टो ब्रिज तब भी डूबता था. इसके चलते निगम आयुक्त पीआर नायक ने पुल के नीचे वाटर पंपसेट लगाने का आदेश दिया था.

साल 1993 का भी यहां का एक फोटो बेहद वायरल है, जिसमें पानी के अंदर बस के डूबने से उसमें फंसे लोगों को सीढ़ी लगाकर निकाला जा रहा था.

दरअसल यहां पानी भरने की समस्या इसके बनने के बाद से ही है, जिसका कारण इसके सड़कों से ज्यादा गहरा होना माना जाता है.

ब्रिज के नीचे भरे पानी को निकालने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. इसके लिए हर बार पंपसेट का ही इस्तेमाल किया जाता है.

अधिकारियों का कहना है कि ऐतिहासिक धरोहर होने के चलते इसमें पानी निकलने की नालियां बनाने के लिए तोड़फोड़ नहीं की जा सकती है.