Apr 12, 2024, 12:29 AM IST

गोरी मेम को रानी बनाने वाला पहला भारतीय राजा कौन था?

Kuldeep Panwar

गोरी मेम यानी विदेशी बहू आपको कई घरों में मिल जाएंगी, लेकिन सबसे पहली बार अंग्रेज महिला को रानी बनाने वाले भारतीय राजा का नाम पता है? 

दक्षिण भारत की छोटी सी रियासत पुडुकोट्टी के राजा मार्तण्ड अंग्रेज महिला से शादी रचाने वाले पहले भारतीय राजा बने थे, जिससे ब्रिटिश शासक भड़क गए थे.

ब्रिटिश गुलामी के दौर में भारतीय राजाओं पर विदेशी महिला से शादी नहीं करने का नियम लागू था. ऐसा करने पर राजगद्दी छोड़नी पड़ती थी.

अंग्रेजों का कहना था कि पहली शादी भारतीय महिला से करने के बाद राजा चाहे तो दूसरी शादी किसी विदेशी महिला से कर सकते हैं. 

राजा मार्तण्ड तोंडियन बहादुर इस नियम के खिलाफ थे. उन्होंने पहली शादी किसी विदेशी महिला से ही करने की कसम खा रखी थी.

मार्तण्ड ने एक अमेरिकी महिला से शादी करने की कोशिश की थी. सगाई भी हो गई, लेकिन अंग्रेज अधिकारियों के दबाव में ये शादी नहीं हो सकी.

मार्तण्ड इस कारण 40 साल की उम्र तक कुंवारे थे. वे 1915 में ऑस्ट्रेलिया घूमने गए तो उन्हें ऑस्ट्रेलियन लड़की मौली पिंक से प्यार हो गया.

अमीर परिवार की मौली लंबे कद की सुंदर युवती थीं और पेशे से बैरिस्टर (वकील) थी. मौली को भी होटल में मिले मार्तण्ड से प्यार हो गया.

मार्तण्ड के शादी का प्रस्ताव देने पर मौली की मां ने भी सहमति जता दी. राजा मार्तण्ड के साथ मौली का परिवार भी पुडुकोट्टी रियासत आ गया.

अंग्रेजों ने शादी को मानने से इंकार कर दिया. मौली गर्भवती हुई तो उसे किसी ने जहर देकर मारने की कोशिश की, जिसका शक अंग्रेजों पर रहा.

अंग्रेजों के लगातार विरोध के बावजूद राजा ने अपनी रानी को छोड़ने से इंकार कर दिया. उल्टे उन्होंने राजगद्दी छोड़ने की ही घोषणा कर दी.

राजा मार्तण्ड अपनी गद्दी छोटे भाई को देकर मौली के साथ ऑस्ट्रेलिया चले गए, जहां उन दोनों का एक बेटा हुआ. 1920 में दोनों फ्रांस जाकर बस गए.

फ्रांस में राजा मार्तण्ड को बहुत सम्मान मिला. बेशुमार धन-दौलत के चलते भी फ्रांस की हाई सोसाइटी में उनका रुतबा राजा वाला ही रहा.

मार्तण्ड से अंग्रेज इस कदर खफा थे कि 1928 में उनके निधन के बाद उनका शव भारत लाकर दाह संस्कार करने की भी इजाजत नहीं दी गई.

मार्तण्ड का दाह संस्कार लंदन में हुआ, जहां उनके नाम का स्मारक बना हुआ है. मौली लंदन में ही बस गईं, जहां 1967 में उनका निधन हुआ.

मार्तण्ड के बेटे मार्तण्ड सिडनी तोंडीमन को लंदन में कानूनी दिक्कतें थीं. उसने अमेरिका की नागरिकता ले ली और वहीं पर जाकर बस गया.

सिडनी पर 1945 में अमेरिका में चोरी का आरोप लगा और एक साल की सजा हो गई. उसकी नागरिकता भी वापस छीन ली गई.

अमेरिका से 1948 में सिडनी तोंडीमन यूरोप लौट आया और बाकी जिंदगी शानोशौकत से बिताई. 1984 में इटली में उसका निधन हो गया.