देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री, जिसने बनवाया था Delhi AIIMS
Kuldeep Panwar
भारतीय सभ्यता के विकास में महिलाओं का योगदान पुरातन काल से रहा है. आजादी के बाद आधुनिक भारत के निर्माण में भी महिलाओं का प्रमुख सहयोग रहा है.
आज इंटरनेशनल वीमंस डे के मौके पर हम ऐसी ही एक महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके नाम पर देश की पहली महिला कैबिनेट मंत्री होने का रिकॉर्ड भी दर्ज है.
हम बात कर रहे हैं राजकुमारी अमृत कौर की, जिन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में देश की आजादी के बाद बनी अंतरिम सरकार में शामिल किया था.
नेहरू की 14 मंत्रियों की कैबिनेट में सरदार पटेल, अबुल कलाम आजाद जैसे दिग्गजों के साथ शामिल अमृत कौर कपूरथला रियासत की राजकुमारी थीं.
अमृत कौर साल 1964 तक राज्यसभा सांसद रहीं. उन्हें पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपनी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री का पद दिया था.
लखनऊ में 2 फरवरी, 1987 को जन्मीं अमृत कौर ने इंग्लैंड के शीरबार्न स्कूल फॉर गर्ल्स से स्कूली पढ़ाई के बाद ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया.
1908 में भारत लौटने पर गोपालकृष्ण गोखले के कहने पर अमृत कौर भी स्वाधीनता संग्राम में जुट गईं. वे महात्मा गांधी के दांडी मार्च में जेल भी गईं.
अमृत कौर ने 1930 में माता-पिता के निधन के बाद राजमहल त्यागकर पूरी तरह स्वाधीनता संग्राम में खुद को झोंक दिया. गांधी भी उनसे पूरी तरह प्रभावित थे.
आजादी के बाद महात्मा गांधी के कहने पर ही उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया. 18 फरवरी, 1956 को अमृत कौर ने ऑल इंडिया मेडिकल साइंस इंस्टीट्यूट एक्ट (AIIMS Act) पेश किया.
संसद में AIIMS Act पास होने पर भी सरकार के पास इतना बड़ा चिकित्सा संस्थान बनाने का पैसा नहीं था. ऐसे में अमृत कौर ने अपना शिमला का महल दान कर दिया.
Delhi AIIMS की स्थापना के लिए अमृत कौर ने खुद अमेरिका से लेकर स्वीडन, पश्चिमी जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड तक जाकर अपने संपर्कों के जरिये फंड जुटाया.
अमृत कौर ने ही खेल मंत्री रहते हुए पटियाला में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स की नींव रखी. वे वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की चीफ बनने वाली पहली एशियाई महिला भी थीं.
राजकुमारी अमृत कौर जीवन भर अविवाहित रहीं. उनका निधन 6 फरवरी, 1964 को होने पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कराया गया था.