Oct 8, 2023, 08:00 PM IST

मुगल शासकों के खजानों से क्यों निकलता था धुआं 

DNA WEB DESK

मुगल साम्राज्य की शुरुआत भारत में लगभग 1526 के करीब हुई थी और 1707 तक भारत के हर हिस्से में मुगल शासक का राज हुआ करता था.

850 तक मुगल राजाओं ने भारत के कई इलाकों पर राज किया था. इस दौरान के कई किस्से-कहानियां मशहूर हैं.

आप सब जानते हैं कि भारत का इतिहास बहुत समृद्ध है. इसके इतिहास में बहुत से राज और तथ्य जुड़े हुए हैं. 

आज हम आपसे मुगलों के खजाने के बारे में बताएंगे. आइए जानते हैं कि मुगल शासकों के खजानों से धुआं क्यों निकलता था?

अकबर के नवरत्न अबुल फजल ने आइन-ए-अकबरी में लिखा कि अकबर के खजाने को देखकर ऐसा लगता है कि वो खजाना नहीं बल्कि कारखाना है. 

अबुल फजल ने बताया है कि मुगलों के खजाने को कारखाना इसलिए भी बताया था क्योंकि यहां पर सैकड़ों सर्राफ काम करते थे. सोने, चांदी और तांबे की सिल्ली लेकर मुहरें बनवाते थे. 

मुगल शासकों के खजानों में मोहरें बनाने के लिए धातुओं को पिघलाया जाता था, जिससे चिमनियों से धुआं निकलता था. इसी कारण कहा जाता है कि मुगलों के कारखाने से धुआं निकलता था.

मुगलों के खजाने को लेकर लोग कहते थे कि यहां की मिट्टी भी लोगों को अमीर बना देती थी. आइन-ए-अकबरी में बताया गया है कि खजाने में कई तरह के काम होते थे.  जैसे सोने-चांदी को पिघलाकर सलाखें बनाना और असली-नकली गहनों की पहचान करना.