चांद की रोशनी यानी चांदनी को लेकर शायरों ने न जाने कितनी ही कविताएं लिखीं हैं.
आपने भी खुले आसमान में सोते समय न जाने कितने ही बार चांद की रोशनी को घंटो निहारा होगा.
ऐसे में क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी तक चांद की रोशनी कैसे पहुंचती है. चलिए हम आपको इसका जवाब बताते हैं...
सबसे पहले जान लें कि चांद अंधेरे में चमकता जरूर है, लेकिन उसकी अपनी कोई रोशनी नहीं होती है.
विज्ञान के मुताबिक, चंद्रमा की सतह से टकराकर सूर्य का प्रकाश ही धरती तक पहुंचता है. इस कारण रात के समय चंद्रमा हमें चमकता हुआ दिखाई देता है.
सीधे चांद से कोई रोशनी धरती पर नहीं आती, बल्कि सूरज का प्रकाश चंद्रमा से परावर्तित होकर हमारे ग्रह तक पहुंचता है. इसी परावर्तन के कारण चांद भी चमकता हुआ दिखता है.
अगर मान लिया जाए कि चांद की रोशनी ही धरती पर आती है, तो इसे पृथ्वी पर पहुंचने में कितना समय लगता है?
धरती से चंद्रमा 3,84,400 किमी दूर है. प्रकाश की गति तीन लाख किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है.
चांद की रोशनी धरती पर 1.3 सेकेंड में पहुंच जाती है. चांद और धरती के बीच की दूरी और प्रकाश की गति के आधार पर यह माना जाता है.