Dec 31, 2024, 07:06 PM IST
कितना आता है एक भारतीय ट्रेन का बिजली बिल
Kuldeep Panwar
दुनिया के चौथे सबसे बड़े रेल नेटवर्क वाले भारत में आपने इलेक्ट्रिक और डीजल, दोनों तरह के इंजन वाली ट्रेन में सफर किया होगा.
ट्रेन कोई हो, पर उसके कोच लाइटों से जगमगाते हैं और एयरकंडीशनर भी चलते हैं. क्या आपको पता है इस बिजली खर्च का बिल कितना आता है?
ट्रेन का बिजली बिल उसमें होने वाली बिजली खपत पर निर्भर करता है. हम आपको हर तरह के ट्रेन कोच की बिजली खपत की जानकारी देंगे.
भारतीय रेलवे अपनी ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों के लिए ज्यादातर बिजली खरीदता है. उसे एक यूनिट बिजली के बदले 7 रुपये चुकाने पड़ते हैं.
ट्रेन के एसी कोच में औसतन हर घंटे 210 यूनिट बिजली खर्च होती है. इस हिसाब से 12 घंटे के दिन में 17,640 रुपये की बिजली खर्च होती है.
स्लीपर और जनरल कोच में भी पंखे और लाइट लगी होती हैं. स्लीपर और जनरल कोच में औसतन एक घंटे में करीब 120 यूनिट बिजली खर्च होती है.
120 यूनिट प्रति घंटे के हिसाब से देखें तो स्लीपर-जनरल कोच में 12 घंटे के दिन में 1440 यूनिट बिजली के लिए रेलवे 10,800 रुपये चुकाता है.
अब समझ लेते हैं कि रेलवे चलती ट्रेन में बिजली कैसे सप्लाई करता है. दरअसल ट्रेन की बोगियों में रेलवे दो तरीके से बिजली सप्लाई करता है.
डायरेक्ट हाई-टेंशन वायर के जरिये ट्रेन में बिजली सप्लाई होती है. यह तरीका इलेक्ट्रिक ट्रेन के इंजन और उसके कोच के लिए इस्तेमाल होता है.
बाकी ट्रेनों में पावर जनरेटर कोच के जरिये बिजली सप्लाई होती है, जो एक कोच में लगा होता है और डीजल के जरिये बिजली पैदा करता है.
पावर जनरेटर से स्लीपर व जनरल कोच में हर घंटे बिजली सप्लाई का डीजल खर्च 3200 रुपये और एसी कोच का 5600 रुपये बैठता है.
ट्रेन का कुल बिजली खर्च कितना है? इसका हिसाब निकालने के लिए उसमें लगे हर तरह के कोच को उसकी बिजली खपत से गुणा करना होता है.
यदि ट्रेन 4 एसी कोच, 6 स्लीपर कोच और 2 जनरल कोच वाली है तो पावर जनरेटर से बिजली खर्च 48,000 रुपये प्रति घंटा यानी 5,76,000 रुपये प्रति दिन होगा.
इसी ट्रेन की बिजली सप्लाई इलेक्ट्रिक वायर से दिए जाने पर उसका कुल खऱ्च 1,56,960 रुपये प्रति घंटा और 18.83 लाख रुपये प्रति दिन बैठेगा.
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