Apr 1, 2025, 12:49 AM IST
ईद के बाद कहां लगते हैं टर्र और पर्र के मेले
Kuldeep Panwar
ईद का त्योहार पूरे देश का मुस्लिम समुदाय जोर-शोर से मनाता है. इस दिन बच्चों को शगुन के तौर पर 'ईदी' की रकम देने का रिवाज है.
कई शहरों में बच्चे ईदी की रकम का इंतजार केवल इसलिए करते हैं ताकि वे ईद पर लगने वाले खास मेलों में जाकर उससे मनचाही चीजें खरीद सकें.
ईद पर कानपुर और लखनऊ जैसे शहरों में एक या दो दिन नहीं बल्कि तीन दिन तक मेले लगते हैं, जिनके नाम सुनकर ही आप चौंक जाएंगे.
ईद पर कानपुर में करीब 5 लाख लोग ईदगाह में नमाज पढ़ते हैं. फिर नई सड़क पर मेला लगता है. इसके बाद अगले दो दिन भी मेले लगते हैं.
कानपुर में ईद और बकरीद पर पहले दिन 'अर्र', दूसरे दिन चमनगंज में 'टर्र' और तीसरे दिन इफ्तिखाराबाद में 'पर्र' का मेला लगाया जाता है.
इसी तरह लखनऊ में भी 'टर्र' का मेला ईद से अगले दिन चिड़ियाघर में लगता है और फिर उससे अगले दिन 'पर्र' का मेला आयोजित होता है.
इन मेलों के ये अजीबोगरीब नाम क्यों हैं? इसे लेकर कानपुर में पूछिए या लखनऊ में, शायद ही दोनों जगह आपको कोई सही जवाब दे पाएगा.
कानपुर में आप पुराने लोगों से पूछेंगे तो इतना जरूर बताया जाएगा कि इन मेलों का आयोजन करीब 120 साल से इसी तरह किया जा रहा है.
कानपुर-लखनऊ में इन मेलों के आयोजन का कारण भले ही लोग नहीं जानते हैं, लेकिन यह तय है कि इन मेलों का इंतजार पूरे साल होता है.
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