Mar 11, 2025, 12:16 AM IST
52 कमरे वाला बदकिस्मत महल, जहां 1 रात में खत्म हुआ पूरा राजपरिवार
Kuldeep Panwar
दुनिया के लगभग सभी देशों में राजशाही खत्म हो चुकी है या नाममात्र के लिए ही मौजूद है और असली काम लोकतांत्रिक सरकारें कर रही हैं.
फिर भी दुनिया भर में राज परिवारों को आज भी अपने-अपने देश में जनता से सम्मान मिलता है. ऐसा ही भारत का पड़ोसी देश नेपाल भी है.
नेपाल में साल 2008 में राजशाही का अंत हो गया था और सत्ता लोकतांत्रिक सरकार ने संभाल ली थी. फिर भी वहां राजपरिवार की मान्यता है.
नेपाल के काठमांडू में ही वो नारायणहिती पैलेस भी मौजूद है, जो कभी राजपरिवार का शाही महल होता था और अब म्यूजियम बन गया है.
52 कमरों वाले नारायणहिती पैलेस को बदकिस्मत महल भी कहा जाता है, जहां एक ही रात में पूरा शाही परिवार नरसंहार में खत्म हो गया था.
383,850 वर्ग मीटर में फैले नारायणहिती महल में ही 250 साल तक नेपाल पर राज करने वाले शाह परिवार के राजकाज का अंत हुआ था.
नारायणहिती महल की मौजूदा बिल्डिंग का निर्माण 1963 में तत्कालीन राजा महेंद्र ने कराया था, लेकिन इसका इतिहास कई सौ साल पुराना है.
नेपाल के पहाड़ों के नाम वाले मुख्य द्वारों से सजे नारायणहिती महल के अंदर मौजूद 52 कमरों के नाम नेपाल के 52 जिलों के नाम पर हैं.
नारायणहिती का मतलब भगवान विष्णु और पानी से है. नारायण का मतलब विष्णु होता है, जबकि हिती का मतलब पानी की टोंटी से होता है.
नारायणहिती महल में ही वो सोने का रथ रखा है, जो 1961 में ब्रिटिश महारानी एलिजाबेथ-2 ने पहले नेपाल दौरे पर राजा महेंद्र को गिफ्ट किया था.
यह शाही रथ पहली बार दुनिया ने 24 फरवरी, 1975 को राजा बीरेंद्र शाह के राज्याभिषेक के समय देखा था, जो आज भी वैसा ही दमकता है.
नेपाल का शाही मुकुट यानी रॉयल क्राउन भी बेहद खास है. ताकत व यूनिटी के प्रतीक इस क्राउन में 730 हीरे और 2,000 से अधिक मोती लगे हैं.
नारायणहिती महल को जगह-जगह सोने-चांदी की नक्काशी से सजाया गया है, जिसकी खूबसूरती बेशकीमती झूमर भी जगह-जगह बढ़ाते हैं.
नेपाल के नारायणहिती महल में ही 1 जून, 2001 की वह बदकिस्मत रात आई थी, जब नेपाल के शाही परिवार का नरसंहार कर दिया गया था.
नेपाल के क्राउन प्रिंस दीपेंद्र ने अपने पिता राजा बीरेंद्र, मां रानी ऐश्वर्या, अपनी पत्नी और भाई-बहनों समेत राजपरिवार के 9 लोग मार दिए थे.
दीपेंद्र ने खुद को भी गोली मार ली, लेकिन कोमा में चले गए. बेहोशी में हुई उनका राज्याभिषेक कर राजा घोषित किया गया, लेकिन वो नहीं बचे.
करीब 54 घंटे तक बेहोशी में राजा रहे दीपेंद्र की मौत के बाद राजा बीरेंद्र के चचेरे भाई ज्ञानेंद्र को राजा बनाया गया, जो नेपाल के आखिरी राजा थे.
साल 2006 में नेपाल में जनविद्रोह हुआ. साल 2008 में लोकतांत्रिक सरकार बनते ही ज्ञानेंद्र को महल से निकालकर उसे म्यूजियम बना दिया गया.
नारायणहिती महल की बदकिस्मती यहीं तक नहीं है. 1934 में भी भूकंप में महल का एक हिस्सा गिरने से राजा त्रिभुवन की दो नवजात बेटियां मारी गई थीं.
Next:
एक दिन के लिए भारत की राजधानी बना था ये शहर
Click To More..