Jul 4, 2025, 03:32 PM IST
इन देशों में भी चलती है आपकी 'टुकटुक', भारत करता है एक्सपोर्ट
Kuldeep Panwar
महंगे पेट्रोल-डीजल ने इलेक्ट्रिक वाहनों को पॉपुलर बना दिया है. खासतौर पर आम आदमी के लिए ई-रिक्शा सबसे बड़ा सहारा बनकर उभरा है.
भारत के हर कोने में आपको टुक-टुक या ई-रिक्शा का जलवा देखने को मिल जाएगा, जिसके बिना शायद ही आप अपने गंतव्य पर पहुंच पाएंगे.
महज "जुगाड़" के तौर पर शुरू हुई ई-रिक्शा की पॉपुलैरिटी इतनी है कि अब इसका प्रॉडक्शन नामी ऑटोमोबाइल कंपनीज भी कर रही हैं.
भारत में ई-रिक्शा की शुरुआत से पहले ही चीन, ताइवान, जापान, मलेशिया, थाईलैंड जैसे देशों में ई-रिक्शा सड़कों पर दिखाई देने लगा था.
इन देशों के अलावा पाकिस्तान, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भी सड़कों पर ई-रिक्शा की भरमार दिखती है.
पर्यावरण संरक्षण वाले इस इलेक्ट्रिक वाहन की पहुंच कई छोटे अफ्रीकी देशों से लेकर खुद को आधुनिक कहने वाले यूरोपीय देशों तक भी है.
भारत में सरकार ने ई-रिक्शा को जमकर बढ़ावा दिया है. इसके चलते भारत ई-रिक्शा का बड़ा एक्सपोर्टर बनता जा रहा है.
भारतीय ई-रिक्शा नेपाल, भूटान, दक्षिण अफ्रीका, तंजानिया, केन्या, मोजाम्बिक, इथियोपिया और मिस्र तक एक्सपोर्ट हो रहे हैं.
इनके अलावा नाइजीरिया मेक्सिको, जर्मनी, बांग्लादेश, नाइजीरिया, जॉर्जिया और यहां तक ब्रिटेन में भी भारत ई-रिक्शा एक्सपोर्ट कर रहा है.
भारत ई-रिक्शा ही नहीं बल्कि उसके स्पेयर-पार्ट्स का भी बड़ा एक्सपोर्टर बन गया है. हर साल लाखों रुपये के स्पेयर पार्ट्स एक्सपोर्ट हो रहे हैं.
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