Apr 4, 2025, 11:52 PM IST
थाईलैंड का नाम पहले क्या था
Kuldeep Panwar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के थाईलैंड दौरे की चर्चा हर तरफ हो रही है, जहां वे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सेदारी कर रहे हैं.
थाईलैंड टूरिज्म के लिहाज से दुनिया के टॉप कंट्रीज में शामिल हैं, जहां की संस्कृति में आपको भारत की संस्कृति जैसा अहसास होगा.
मुस्कान की भूमि कहलाने वाले थाईलैंड को एक समय सियाम कहा जाता था. इस देश का नाम बदलने की कहानी बेहद दिलचस्प है.
छठवीं से 11वीं सदी के बीच दक्षिण-पश्चिमी चीन से ताई भाषी समूहों ने दक्षिण-पूर्व एशिया की तरफ पलायन करके अपनी बस्तियां बसाई थीं.
13वीं सदी तक उन पर कंबोडिया का शासन रहा, जिससे ताई समूह हिंदू संस्कृति के संपर्क में आया. फिर ताई समूह का सुखोथाई राजवंश उभरा.
14वीं सदी में अयुथया राजवंश और फिर वहां थोन बुरी राजवंश का राज रहा. साल 1782 में राम-1 के चक्री राजवंश का शासन थाई भूमि पर हुआ.
चक्री राजवंश के बाद रत्तनाकोसिन राजवंश ने 20वीं सदी तक थाईलैंड पर राज किया. इस पूरे दौर में इस देश को सियाम कहकर पुकारते थे.
1930 के दशक में आर्थिक संकट और भुखमरी से आम लोगों ने विद्रोह कर दिया. राजा की सत्ता खत्म हुई और लोकतांत्रिक राजशाही शुरू हुई.
लोकतांत्रिक सरकार ने 1939 में सियाम के बजाय ताई जातीय समूह की बहुसंख्या के आधार पर देश का नाम बदलकर थाईलैंड कर दिया.
लोकतांत्रिक सरकार ने 1939 में सियाम के बजाय ताई जातीय समूह की बहुसंख्या के आधार पर देश का नाम बदलकर थाईलैंड कर दिया.
साल 1945 में थाईलैंड का नाम फिर से बदलकर सियाम हुआ, लेकिन जनता के दबाव में इसे फिर से बदलकर थाईलैंड ही कर दिया गया.
थाईलैंड का मतलब स्वतंत्र भूमि होता है और यह जगह हमेशा स्वतंत्र रही है. पूरी दुनिया पर राज करने वाला ब्रिटेन भी इसे उपनिवेश नहीं बना पाया.
भारत और थाईलैंड के बीच सुखोथाई राजवंश के दौर से आपसी संबंध हैं, जिन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया था, जो आज वहां मुख्य धर्म है.
भारत और थाईलैंड के बीच सुखोथाई राजवंश के दौर से आपसी संबंध हैं, जिन्होंने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया था, जो आज वहां मुख्य धर्म है.
रामायण की कथा वहां जीवन का अहम हिस्सा है, जिसे वहां रामाकियन के नाम से जाना जाता है. वहां भी रामलीला जैसे आयोजन होते हैं.
पुत्थयोत्फा चालुलोक ने चक्री राजवंश शुरू करते समय गद्दी संभालने के लिए राम-1 उपाधि ली थी. आज भी थाईलैंड के राजा इसी उपाधि से गद्दी संभालते हैं.
यदि डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप की बात करें तो 1947 में भारत के आजाद होते ही दोनों देशों ने संबंध जोड़ लिए थे, जो लगातार गहरे हुए हैं.
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